एक किताब..... कई मुकाम
दुकान
मंच
महफ़िल
सम्मान
पुरस्कार
हाहाकार
से उतर कर जब वो किताब हमारे
शेल्फों
दराजों
आंखों
होठों
हथेलियों
सीनों
सिरहानों से मन तक पहुंचती है ....
बस उसी रोज़ वो छपती है ।
किताब पायदान चढ़ना उतरना जानती है।
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