शायर मशहूर है बहुत वो जो मुतकल्लिम है मेरे जख्मों का
सोमवार, 22 जुलाई 2019
शुक्रवार, 19 जुलाई 2019
खरा था ....कि खारा ?
जब तलक खरे हैं तालाब और कुँए तब तक ही डुबो सकते हो तुम खारा समुंदर .....
उसके बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ वेग फूटेगा ...
वाणी से बल तक का
आक्रोश का उद्गम नहीं होता ....
बस अंत होता है...
एक विचारधारा का
एक पीड़ा का
एक साहसी का
एक चुप का
रक्त बहा क्या ?
खरा था ....कि खारा ?
मंगलवार, 16 जुलाई 2019
अंतस से देह की बातें....
पुरुष पानी है और स्त्री पत्थर
पानी स्त्री पर निशान छोड़ता है
स्त्री पानी पर कोई निशान नहीं छोड़ती।
अंतस से देह की बातें....
सोमवार, 15 जुलाई 2019
शुक्रवार, 12 जुलाई 2019
हँसती हुई स्त्री
हँसती हुई स्त्री दुनिया में बेहद कम आँखों को बख्शी गयी हैं ...
उन ज्यादा आँखों को शिफ़ा पहुंचे।
कल्पना💐
बुधवार, 10 जुलाई 2019
बंधन
वो अद्धभुत महसूस करो
ठीक उस घड़ी जब वो सामने हो रहा हो
रुको मत
हक़ भी न जमाओ
घुलने दो
उस पर अपना नाम न उकेरो
इस एकांत को सुनो....
अबकी जो तुम खो दोगे वो लौट कर नहीं आएगा
और वो जो छूट गया बस वही रह रह कर लौटेगा तुम्हारी परिधि में
फिर एक उदासी बन कर
दो आँसू एक हंसी रच कर
जादू होने को है
चूमते रहो इस पल की खूबसूरत उंगलियों को
सगरे प्रश्न गला दो
सारे उत्तर भी छिपा दो
एक बंधन चटकने को है
नीली स्याही से सफेद मन पर
कल्पना💐
गुरुवार, 4 जुलाई 2019
अंतर्मन
तुम मेरी अन्तर्मन वाली लिखावट हो ....
लिपि ,
भाषा,
चिन्हों
और विधाओं से मुक्त
बस मुझमें
कही ,
सुनी
और देखी जा सकने वाली
कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
