सही कहते हो ......
मैं लिखना नहीं जानती
मैं तो सिर्फ पीना जानती हूँ ...
कुछ समुन्दर खारा सा
कुछ अँधेरा उतारा सा
अपने शब्दों के straw से
कभी इक सांस में
कभी बस गुड़- गुड़ में
कागज़ में कहाँ मिलूंगी मैं ?
शब्दों में कहाँ दिखूंगी मैं ?
मैं तो दिखूंगी बीती रात की बाती में
या शायद किसी उदास पाती में
हाँ ....मैं लिखना नहीं जानती
पर मैं छूना जान गयी हूँ
जीना जान गयी हूँ
मैं लिखना नहीं जानती
मैं तो सिर्फ पीना जानती हूँ ...
कुछ समुन्दर खारा सा
कुछ अँधेरा उतारा सा
अपने शब्दों के straw से
कभी इक सांस में
कभी बस गुड़- गुड़ में
कागज़ में कहाँ मिलूंगी मैं ?
शब्दों में कहाँ दिखूंगी मैं ?
मैं तो दिखूंगी बीती रात की बाती में
या शायद किसी उदास पाती में
हाँ ....मैं लिखना नहीं जानती
पर मैं छूना जान गयी हूँ
जीना जान गयी हूँ
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