एक शब्द लिखकर सैंकड़ों बिम्ब देखोगे?
लिखो....
"प्रेम"
मैं चुप थी पर चुप्पी कभी नहीं थी
मेरे पास अब बस चुटकी सा दिन बचा है ।
अपनी रात में मिला लो ।
स्त्री का शायद आखरी संवाद यही होता होगा।
खुद से।
लिखो....
"प्रेम"
मैं चुप थी पर चुप्पी कभी नहीं थी
मेरे पास अब बस चुटकी सा दिन बचा है ।
अपनी रात में मिला लो ।
स्त्री का शायद आखरी संवाद यही होता होगा।
खुद से।
ज्यादातर कविताएं अक्षर पहना पसंद करती हैं
बस कुछ एक मौन ढाँक लेती हैं।
बस कुछ एक मौन ढाँक लेती हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें