जिस किसी रोज़ दरिया को डूबते देखना हो ......
ये आंखें ले आना
संग रो लेंगे
बस बकायदा से बेकायदा हो गए हैं .....
ठीक तुम्हारे जाने के बाद से
बस अपनी आवाज़ रख जाओ .....
शब्द मैं भर दूंगी
कुछ कतरे ज़िन्दगी भर रूमानी किताब रहते हैं।
ये आंखें ले आना
संग रो लेंगे
बस बकायदा से बेकायदा हो गए हैं .....
ठीक तुम्हारे जाने के बाद से
बस अपनी आवाज़ रख जाओ .....
शब्द मैं भर दूंगी
कुछ कतरे ज़िन्दगी भर रूमानी किताब रहते हैं।
इधर कुछ दिनों से उदासियों का फेर न हुआ .....
शायद तुम आते रहे होगे।
😊
😊
😊
शायद तुम आते रहे होगे।



Resort के ठीक सामने असंख्य पेड़ हैं पर मेरा दिल इस पर आगया।
सफ़ेद फूलों वाला प्रेमी
कई रातें गुज़र जाने के बाद ये वाला सूरज मुखी खिलता है.....
तुम कितना कम बोलते हो दिलबर
असीम दुःख और अगाध प्रेम अक्सर एक ही नाम में लिखे मिल जाते हैं ।
जैसे....
उन अजीब शामों से गर तुम्हें अलग कर के देखूँ तो शायद कई दिनों का मलबा रुका हुआ मिले।
तुमसे उम्र चली है मेरी।
इश्क़ रुका है मेरा
तुमसे उम्र चली है मेरी।
इश्क़ रुका है मेरा
संग रहो ....
हर शाम के बेहद अजीब होने तक।
हर शाम के बेहद अजीब होने तक।
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