मुझे?
मुझे
सुनना चाहोगे ?
ख्वाइश......
अद्भुत है तुम्हारी
सोच लो
.....
मैं एक
ऐसी कहानी हूँ...
जो अक्षर
से शुरू होकर
शब्दों में
घुलती हुई
वाक्यों
में समां जाती है
फिर
अनुछेद दर अनुछेद
बहती चली
जाती है
उलझन ये
नहीं ......
उलझन ये
है ..कि
हर
अल्पविराम
और
पूर्णविराम
से
मेरी इक
नयी कहानी शुरू हो जाती है
और ये
सिलसिला सतत है .....
इक कहानी
में
सैंकड़ों
कहानियाँ कह देने का हुनर हूँ मैं ....
बोलो....
सुन सकोगे मुझे ?
हर
अल्पविराम के बाद
हर पूर्णविराम के बाद
नए सिरे से
हर बार
बार बार
सिर्फ मुझे
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