तुमसे तो सिलसिले का करार था ...
यूँ लम्हा तो न करते ...
तुम ज़ुबाँ पर रखना
हम नोंक पर रखेंगे
रोज़ वाला इश्क़ ही तो है।
हर उदासी की मियाद तय होती है ....सुना था
बस इश्क़ के लिए जरा क़ायदे मुलायम रखे हैं।
धुंआ पी कर आसमान नहीं लिखूंगी
मन के भोले बादल टांक लूंगी
चाँद ......तुम बस नीले हो जाना ।
रोज़ तुमसे दिल का रिश्ता बुनती हूँ...
रोज़ ख़ामोश कर देती हूँ।
बखिया उधेड़ना कब मुश्किल होता है।
तराश कर देखिए रश्क़ को ...क्या पता इश्क़ बन जाये।
एक ही अक्षर का तो फ़ेर है।
खाली सी इस शाम में बस तुम भर जाओ।
यूँ लम्हा तो न करते ...
तुम ज़ुबाँ पर रखना
हम नोंक पर रखेंगे
रोज़ वाला इश्क़ ही तो है।
हर उदासी की मियाद तय होती है ....सुना था
बस इश्क़ के लिए जरा क़ायदे मुलायम रखे हैं।
धुंआ पी कर आसमान नहीं लिखूंगी
मन के भोले बादल टांक लूंगी
चाँद ......तुम बस नीले हो जाना ।
रोज़ तुमसे दिल का रिश्ता बुनती हूँ...
रोज़ ख़ामोश कर देती हूँ।
बखिया उधेड़ना कब मुश्किल होता है।
तराश कर देखिए रश्क़ को ...क्या पता इश्क़ बन जाये।
एक ही अक्षर का तो फ़ेर है।
खाली सी इस शाम में बस तुम भर जाओ।
अगर किसी रोज़ कुछ बचाना होगा तुम्हारे लिए.....तो अपने सारे तिल बचा लूँगी
तुम्हारे उजले पन्नों के लिए
आज खुश हूँ...
किसी ने खामोश समंदर मेरी हथेलियों में रख दिया हो जैसे।
याद सीली ही सही .... पहुंची तो सही।
याद सीली ही सही .... पहुंची तो सही।
चाहनाएँ ....
कह देने से ज्यादा लिखी हुई रूमानी लगती हैं।
कह देने से ज्यादा लिखी हुई रूमानी लगती हैं।
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