सुनो!
जो ख्वाइशें सूख जाती हैं ,उन्हें कहाँ बोते हो ?
बीज नहीं......इस बार मुझे ढ़ेर सारे फूल दबाने हैं।
जो ख्वाइशें सूख जाती हैं ,उन्हें कहाँ बोते हो ?
बीज नहीं......इस बार मुझे ढ़ेर सारे फूल दबाने हैं।
इश्क़ जब जब भी तेरे लिए शाद रहा
जाने कितने ही दिलों का फ़साद रहा।
जाने कितने ही दिलों का फ़साद रहा।
इश्क़ जैसा रंगमंच कोई नहीं...
बस किरदार टिका रहे।
बस किरदार टिका रहे।
जब तक साथ थी याद नहीं रखा
आज याद हूँ तो साथ नहीं रखा
आज याद हूँ तो साथ नहीं रखा
तुम हमेशा से बांवरे ही थे क्या ?
बारिश गुज़र जाने के बाद वाली ओस संजोने की आदत गयी नहीं मेरी .....
देखो तुम इत्तू से आज भी बचे हो मेरे पास...
एक लंबी उम्र सिमटने के बाद भी।
देखो तुम इत्तू से आज भी बचे हो मेरे पास...
एक लंबी उम्र सिमटने के बाद भी।
मेरे ख़ास होने की महज़ इतनी सी वजह काफी है .....
कि तुम आज भी मुझे ......
इन शब्दों में खोजते हो .... यादों में नहीं .......
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें