"टूटना" प्रेम की सबसे विशेष क्रिया है
"शेष" और "अवशेष" उससे हो जाने वाली संज्ञा
यानी .....
"मैं "
और "तुम"
या
"तुम"
और "मैं"
"शेष" और "अवशेष" उससे हो जाने वाली संज्ञा
यानी .....
"मैं "
और "तुम"
या
"तुम"
और "मैं"
अशेष ......सिर्फ प्रेम
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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