मुझसे बेहतर मुझे कोई खुश नहीं रख सकता ....
यह जानते हुए भी रोज़ मुझे कुछ औऱ हो जाना पसंद है
वैसे पसंद शब्द सटीक बैठ नहीं रहा पर जाने दो......
एक दिन में सैंकड़ों पल
उन सैंकड़ों पलों के लिए कुछ हज़ार चाहनाएँ
उन हज़ार चाहनाओं के लिए कुछ सौ चेहरे
उन सौ चेहरों में से सिर्फ एक अपने वाला मन ढूंढना
रोज़ यही करना....
बस यही करते जाना .........
और बस उसी मन पर आकर रुक जाना
मुझसे बेहतर मुझे कोई खुश नहीं रख सकता ....
सच....
रोज़ मुझे कुछ औऱ हो जाना पसंद है
कभी पल
कभी चाहना
कभी चेहरा
कभी मन
खुशी .......दो शब्दों से नहीं कल्पना भर से भी बनती है।
यह जानते हुए भी रोज़ मुझे कुछ औऱ हो जाना पसंद है
वैसे पसंद शब्द सटीक बैठ नहीं रहा पर जाने दो......
एक दिन में सैंकड़ों पल
उन सैंकड़ों पलों के लिए कुछ हज़ार चाहनाएँ
उन हज़ार चाहनाओं के लिए कुछ सौ चेहरे
उन सौ चेहरों में से सिर्फ एक अपने वाला मन ढूंढना
रोज़ यही करना....
बस यही करते जाना .........
और बस उसी मन पर आकर रुक जाना
मुझसे बेहतर मुझे कोई खुश नहीं रख सकता ....
सच....
रोज़ मुझे कुछ औऱ हो जाना पसंद है
कभी पल
कभी चाहना
कभी चेहरा
कभी मन
खुशी .......दो शब्दों से नहीं कल्पना भर से भी बनती है।
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