जब कहीं नहीं जा पाती हूँ ....
तो खुद में बहुत दूर निकल जाती हूँ
मलहम ना भी मिले
मखमल तो मिल ही जाता है अपने आप का
अभी अभी अजनबी हुआ हुआ "मैं" .....
इक बार फिर सुर्ख गुलाब देकर
जाने कितनी बार I love u बोलता जाता है ....
और मैं बाँवरी ....I am sorry सुन रही होती हूँ ...
इसलिए.... लौटा लाती हूँ खुद को
वापस वहीँ ......
जहाँ से फिर न जाने कितनी बार
कहीं नहीं जा पाना तय है मेरा
तो खुद में बहुत दूर निकल जाती हूँ
मलहम ना भी मिले
मखमल तो मिल ही जाता है अपने आप का
अभी अभी अजनबी हुआ हुआ "मैं" .....
इक बार फिर सुर्ख गुलाब देकर
जाने कितनी बार I love u बोलता जाता है ....
और मैं बाँवरी ....I am sorry सुन रही होती हूँ ...
इसलिए.... लौटा लाती हूँ खुद को
वापस वहीँ ......
जहाँ से फिर न जाने कितनी बार
कहीं नहीं जा पाना तय है मेरा
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