सोचती हूँ .... निकलूँ खुद से और ....इन शब्दों में घर बना लूँ..... तुम भी तो वहीँ कहीं रहते हो शायद
😊😊😊😊😊😊😊
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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