"अमृता" नाम की महक
जिस भी शब्द के पास से गुज़र जायेगी
वहीँ इक "इमरोज़" इश्क़ लिखता नज़र आएगा
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कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

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