तसल्ली रखियेगा....
मेरे मोह मोह के धागों में आप बंधे रहेंगे
कभी ख्वाइश से
कभी गिरह बनकर
इश्क़ भी उगता रहेगा
बस..... शब्द नहीं होंगे
मैं अपने ढाई आखर इन धागों में पिरो लिया करुँगी
प्रेम के नहीं .... शब्द के
अब से तुम्हारे लिए ......नहीं सिर्फ अपने लिए
तसल्ली रखियेगा.....
मेरे मोह मोह के धागों में आप बंधे रहेंगे
कभी ख्वाइश से
कभी गिरह बनकर
सोमवार, 10 अक्तूबर 2016
तसल्ली रखियेगा....
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कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

बेहतरीन रूमानी कविता ... शब्द मन में तैर रहे है
जवाब देंहटाएंabhaar aapka
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