मेरी कहानी के पहले शब्द से आखिरी शब्द तक
और फिर .....
उस पूर्णविराम के बाद भी
कई कोसों दूर तक.......
कोई किरदार नहीं दिखता......... सिवाय तुम्हारे
आदत इसे कहते हैं ......
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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