इन खामोशियों को उधेड़ोगे तो मेरे शब्द नज़र आएंगे
और फिर जब इन्ही शब्द को बुनोगे तो मेरी खामोशी
जाल तो मैं शानदार बुन ही देती हूँ ... है ना ?
और तुम फंस भी जाते हो .... है ना ?
इस रात ने ....उस चाँद को
न जाने ये कितनी बार कहा होगा
और
उस चाँद ने ....इस रात को
न जाने कितनी बार फिर बुना होगा