आसपास ....
इतने शब्द ......इतनी संवेदनाएं
बिखरी पड़ी हैं कि ......
जिसे उष्मा दो ......वो बोल पड़े....
बस .....
मन का अलाव ......प्रेम से सुलगा होना चाहिए
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कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

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