कुछ तो आकार होता ही होगा इन शब्दों का.......
या तो.....
नुकीले होते होंगे
रूह से लहू रिसाने वाले
अपना "मैं"..... चुभाने वाले
या फिर....
गोल गोल घिसे हुए
रूह से रूह सहलाने वाले
मेरा "मैं"...... दिखाने वाले
इनके आकार..... प्रकार से ही तो "मैं " जीवित है
मेरा भी.....
तुम्हारा भी .....
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