शब्दों से इमरोज़ तो बहुत मिल जाते हैं ...
पर अमृता वाला इमरोज़ तो फिर हुआ ही नहीं .... जैसे इमरोज़ वाली अमृता फिर कभी नहीं हुई ....
जन्मदिन मुबारक अमृता जी .... इश्क़ मुबारक अमृता जी.....
कल्पना पांडेय
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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