कौन कहता है ...तुम "खूबसूरत" हो ?
ये तो "शब्द" हैं मेरे ..... जो तुम पर खूब फबते हैं छूते हैं तुमको .... और खूब हँसते हैं
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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