कुछ प्रश्न ...
अपने अंतस में लिए लिए फिरती हूँ ....
कभी जुबां साथ नहीं देती
कभी नैन
बेउत्तर रहती हूँ .....अमूमन
परत दर परत
प्रश्नों की परत
तुम्हारे लिए यदा कदा
मेरे लिए ही..... क्यूँ अनवरत ?
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कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

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