मैं ....
अपनी ख्वाइशों का प्याला
रोज़ ...
दो ही चीज़ों से भरती रहूंगी
कभी जीत से ...
कभी उस जीत को पाने की रीत से
अपनी ख्वाइशों का प्याला
रोज़ ...
दो ही चीज़ों से भरती रहूंगी
कभी जीत से ...
कभी उस जीत को पाने की रीत से
वो क्या कहते हैं.... हर जश्न के बाद .... Cheers !
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