कभी "विश्वास" को ध्यान से सुनियेगा .....
"विश्व "भी चीखता नज़र आएगा
"स्व" भी बोलता नज़र आएगा
ये हम पर निर्भर है कि ...
हमारी "आस "को किसकी गूँज ज्यादा भाती है
किसकी आवाज लौट लौट कर आती है
हमारी "आस "को किसकी गूँज ज्यादा भाती है
किसकी आवाज लौट लौट कर आती है
विश्वास तब बोलता नहीं
सिर्फ कर के दिखाता है
सिर्फ कर के दिखाता है
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