सब कुछ
जो भी कुछ संभव हो सके
बीच हमारे
उसे पाट देना
लांघ कर इस तरफ चले आना
जाने अनजाने
ही सही
बस वही ....सिर्फ वही
याद रखने लायक है ..... है ना ?
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कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

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