कुछ " धुंध" .....तुम्हारे नाम सी सर्द मौसम में ही नहीं ..... चिलचिलाती धूप में भी ..... मुझे ओढ़े रहती है सच ही तो है ..... कुछ मौसम ....कभी नहीं बदलते कुछ एहसास ...कभी नहीं अखरते
© कल्पना पाण्डेय
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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