ख्वाब" ..... "चाँद" ही तो हैं
संगेमरमर सरीखे
चटक न जाएँ ....
इसलिए ...वो ................................
"ऊंची अटारी" पर रखे हैं
आसान तो नहीं है ........ख़्वाबों के उस पार जाना
जमीं पर रहकर ........अनगिनत "चाँद" पाना
पर.....
मुमकिन भी तो है .....ख़्वाबों के उस पार जाना
जमीं पर रहकर...... उस "चाँद "का दीदार पाना
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें