फूंक दो ना .....कुछ टुकड़े हवा मुझ पर
रख दो ना ....कुछ चुटकी धूप यहाँ
गिरने दो ना .....कुछ मुट्ठी जल मुझ पर
आज ....
इस कल्पना की मिटटी पर ....
रस भरे .....शब्द उगाने की जिद्द है
शब्दों का बसंत ......जीना चाहती हूँ
प्रेम सबसे कम समय में तय की हुई सबसे लंबी दूरी है... यात्रा भी मैं ... यात्री भी मैं
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