परखना मत ,
परखने से कोई अपना नहीं रहता
ये भी सच है की
परख लो तो ,
कभी अपनी ,
कभी एक दूसरे की नजरों में
गिरने का डर नहीं रहता
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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