कैसे समझाऊं .....कब समझोगे ?
कि "तुम"..... "मोड़" नहीं हो मेरे लिए
तुम "पड़ाव" हो
मेरा ठहराव हो
उस "डगर" पर
जो "आती - जाती "नहीं ....
सिर्फ जाकर थम जाती है
वही कहीं रम जाती है
कभी आना चाहो मुझ तलक
तो..... इसी "रस्ते "आना
और सुनो ! "हम" नाम की "तख़्ती" ढूंढना
जल्दी पहुंचोगे
बिना बूझे
इक बात और ..... मेरी तरह "सुकून" से आना
जानते तो हो ....
मुझे "शॉर्टकट्स".....
और......"रैश ड्राइविंग"से कितनी चिढ है
गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016
ड्राइविंग
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
सादगी
सादी सी बात सादगी से कहो न यार .... जाने क्या क्या मिला रहे ..... फूल पत्ते मौसम बहार सूरज चाँद रेत समंदर दिल दिमाग स...

-
रिश्तों को तो रोज़ ..... ढोता है आदमी फिर क्यों बिछड़कर .... रोता है आदमी दिन भर सपने ..... कौड़ियों में बेचता रात फिर इक ख्वाब .. ब...
-
प्रेम सबसे कम समय में तय की हुई सबसे लंबी दूरी है... यात्रा भी मैं ... यात्री भी मैं
-
तलाश ..... सिर्फ , सुकून की होती नाम ...... रिश्ते को , मिले , ना मिले पहचान...... रूह को , रूह देगी आश्ना ...... दिल को , मिले , ना...

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें