परदेश के पंछी बसा तो लिए
चुगते संग हैं ,चहकते नहीं
चुगते संग हैं ,चहकते नहीं
शिकन हो या जलन दूजे से
कूड़ा है ,हम रखते नहीं
कूड़ा है ,हम रखते नहीं
राज़ दार हैं तन्हाइयों के
गम सोखते हैं ,ढंकते नहीं
गम सोखते हैं ,ढंकते नहीं
दिल पलट देते हैं हम आजकल
ताज़ो - तख़्त अब दीखते नहीं
ताज़ो - तख़्त अब दीखते नहीं
शिकवा बेरुखी का हमीं से क्यूँ
आप भी तो मुझ पर मरते नहीं
आप भी तो मुझ पर मरते नहीं
उम्मीद की डोर बंधी है पतंग
कट जाये ,फिकरे कसते नहीं
कट जाये ,फिकरे कसते नहीं
चुन चुन के लफ्ज़ पिरोते हैं
अनमोल हैं ,एहसास सस्ते नहीं
अनमोल हैं ,एहसास सस्ते नहीं
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