इस मजबूती से बंधा है मेरा वतनक्या है डोर ,कहाँ है जोड़ ,मत पूछिये
इन अश्कों की दास्ताँ भी गज़ब हैपानी में दिल ,कैसे तैरता मत पूछिये
ईद होली दीवाली ,आज ही मना लोपांच साल में ,क्या हो हाल मत पूछिये
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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