टेसुओं का सुर्ख रंग मांग में सजाकर
मोगरे की लड़ियों को वेणी बनाकर
जूही की कलियाँ नयनों में धरकर
गुलाब की पंखुरियां अधरों में मलकर
सोनजुही की महक आँचल में भरकर
सूरजमुखी सा चेहरा बनाया
आज मैंने कमल सा रूप सजाया
बैरी पिया धीरे से बोले .......सुनो ,बसंत आ गया है क्या ?
क्या कहने ....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंabhaar
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