बस अभी अभी तो चटकी हूँ
तेरे गर्भ में
नन्ही सी कली बनकर मैं
पर देख सकती हूँ .....
तेरा जलता बुझता चेहरा
कभी असमंजस वाला
कभी ममता से निखरने वाला
जानती हूँ .....तेरा अंश हूँ
पा जाउंगी जो कुछ मैं चाहूंगी
पर माँ ......
जरूर दे देना मुझे
वो शालीन सी ......
दमकती आभा वाला रूप
सलोनी बिंदी वाला स्वरुप
वो इक जोड़ी ऑंखें ....
जो तमाम पलों को संजोती
सुख में तृप्त ,दुःख में धैर्य की ज्योति
वो दो हथेलियाँ ....
जो सिर्फ कर्त्तव्य मलती
और बस रात दिन सुर्ख रहती
वो घने काले केश .....
जिसमें कभी तू आशा गुंथ लेती
कभी निराशा छुपा लेती
वो नीले आकाश सा .....निर्मल मन
वो भूरी वसुधा सा समर्पित तन
माँ ! दे दोगी ना.....
अपने ये अनमोल गहने
की दिखा सकूँ तुझे वो दिन
जब दुनिया कहे .........
तेरी बिटिया के क्या कहने
कल्पना पाण्डेय
आस्था ,श्रद्धा रहे अटूट औ अविचल
जवाब देंहटाएंमाताश्री को जीयो हर दिवस प्रति पल !
thanks hemant ji
हटाएंthanks hemant ji
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