यादों की .....इक छोटी सी बूँद
एहसासों का .....रुका समुन्दर
कभी सुखा जाती है .....
कभी बस भीगा जाती है ....
इक बूँद याद...... काफी है
इक बूँद याद .....बहुत है
मेरे लिए .......
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें