ऐ समुंदर .......
बेशुमार अपनी लहरों का गुमान न रख
बेहिसाब अदाओं से रूबरू हुआ
जो इक बार उसकी
खामोखां ......
पानी पानी हो जाएगा
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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