हर याद
सजी धजी बैठी है मुझमें
और दिल है कि......
बच्चा हुआ जा रहा है
हर याद
इक बार और .....फिर से चखना चाहता है
बीते पल
इक बार और .......जेब में रखना चाहता है
ज़हन में दबे दबे ये यादें
अनमोल हो गयी है
और ज़िद्दी दिल
दोनों मुठ्ठियों में
वक़्त की रेज़गारी लिए
मोल पूछ रहा है
हर याद
इक बार ....
फिर जीने के लिए
कुछ बाकी था ......
वह कहने के लिए
चाख जो थे ......
उन्हें सीने के लिए
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