चल पड़े हैं
आज फिर ....
तुम्हारी तलाश में
मिल जाओ तुम ....
इस आस में
जानती हूँ .......
थक कर चूर लौटेंगे
खाली हाथ लौटेंगे
मायूस से
गीली आँखों से पूछेंगे ....
"कल्पना".....
"ये काजल फैला तो नहीं "?
इंतज़ार और इन्तेहाँ का फर्क....
कैसे बताऊँ इन्हें ?
कैसे समझाऊं इन्हें ?
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