आईने में होकर भी न दिखूं
तो मैं " ख्यालों " के पास हूँ
घर में होकर भी न मिलूं
तो मैं "यादों" के पास हूँ
आँखों में होकर भी न बहूं
तो मैं "सब्र" के पास हूँ
इल्म में होकर भी न कहूँ
तो मैं "एहसास" के पास हूँ
उसूलों में होकर भी न करूँ
तो मैं "जिद्द" के पास हूँ
दिल में होकर भी न रहूँ
तो मैं "अहम्" के पास हूँ
साज में होकर भी न बजु
तो मैं "शोर " के पास हूँ
रिश्तों में होकर भी न निभूं
तो मैं "परायों" के पास हूँ
बुलंदी में होकर भी न सोऊँ
तो मैं "तृष्णा" के पास हूँ
लकीरों में होकर भी न बनूँ
तो मैं "तकदीर" के पास हूँ
रूह में होकर भी न जीउँ
तो मैं "मुहब्बत" के पास हूँ
उम्मींद में होकर भी न पाऊँ
तो मैं "विशवास" के पास हूँ
मैं होकर भी ...कहीं भी न हूँ
तो मैं "इश्क" के पास हूँ
जेहन में होकर भी न लिखूं
तो "कल्पना" के पास हूँ
जब यहाँ कहीं ना पाओ मुझे
तो कह देना .....
"खुदा" के पास हूँ मैं
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