कभी बिंदु-बिंदु मात्र से
कभी रंग से
कभी अनोखे - अनोखे ढंग से
जाने कैसे तुम गढ़ लेते हो ये आकृतियाँ
वेदना - संवेदना से लिपटी ये कलाकृतियाँ
कभी जरा जरा तुम सी
कभी हूबहू मुझ सी
कभी चीखती सी लगे
कभी चुप्पी लगा ले
कभी अनजान सी
कभी हमज़बान सी
कभी दीवानगी सी
कभी रवानगी सी
कभी शिकायत करती
कभी मुहब्बत करती
ये कृतियाँ
खामोश औराक़ पर
बोलती तूलिका की
ये अभिव्यक्तियाँ
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