जब एहसास इतने गहरा जाते है
की लाख कोशिश कर लो
हद बांधना चाहो ....खुद को
वो हार जाते हैं .....
कह के ही .....चैन पाते हैं
इक बवंडर ....जज़बातों का
इक उफान .....जज़बातों का
हाथ थाम लेता है ....
कुछ अल्फ़ाज़ों का
वो गीले गीले ....लफ्ज़
वो रुके रुके ....लफ्ज़
जो .....बस सुनना नहीं चाहते
सिर्फ ..... कह देना चाहते हैं
सीमायें लांघते हुए
परतें हटाते हुए
बस ....
खाली कर देते है .....
खुद को
मिला देते हैं रूह से ....
रूह को
सच है .....कुछ एहसास ...
हैरत में डाल देते हैं
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