अगर .....मेरा आने वाला कल
मेरे पिछले कल का.... प्रतिलिपि ही होना है
और .... ताउम्र होते ही रहना है
तो ......सोचती हूँ ....
रुक जाना....... बेहतर है
रोज़ ....ख्वाबों को मारने से बेहतर है
मैं ......ही इक बार बिखर जाऊँ
नयी सोच...... लेकर
पुनर्जीवित हो कर देखूं
खूब .....सजग हो कर चली थी.... अब तलक
अब थोडा भ्रमित होकर देखूं
बहुत हुआ ....
ख्वाब भी थक गए .....
पलकों और दिल के तहखाने में पड़े पड़े
अब के सोचा है .....
इन्हें .......नई सोच
और ....
नए सच .....के सुपुर्द कर दूं
यक़ीनन .....
कल मेरा है
ये ......मेरा नहीं......
मेरे हर ख्वाब का कहना है
मंगलवार, 1 मार्च 2016
कल मेरा है......
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

-
रिश्तों को तो रोज़ ..... ढोता है आदमी फिर क्यों बिछड़कर .... रोता है आदमी दिन भर सपने ..... कौड़ियों में बेचता रात फिर इक ख्वाब .. ब...
-
"रोज़" ही मिलते हो ... "बाद मुद्दत" ही लगते हो....
-
तुम..... मेरी ज़िन्दगी का वो बेहतरीन हिस्सा हो जो ....मिला बिछड़ा रुका चला पर ......आज तलक थका नहीं इसीलिए तो कहती हूँ .... बस इक "ख्...

कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें