वापसी का कोई , रास्ता नहीं रखते
दिन रात , बस लकीरों में ढूंढते हैं
हसरत , इस कदर बेसाख्ता नहीं रखते
लहज़े सरकाते हैं , पत्थर दिलों से
फिर दीवारों से , राब्ता नहीं रखते
दिल में , दबा लेते हैं अधूरी ख्वाइशें
महफ़िल में , उन्हें नाचता नहीं रखते
प्रेम सबसे कम समय में तय की हुई सबसे लंबी दूरी है... यात्रा भी मैं ... यात्री भी मैं
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