पाथर सा दिन .....
पाथर सी मैं .....
पथरीली ख्वाइशें ....
पथरीली अजमाइशें....
सखी पथरीली....
परछाई मेरी
और ......
इक पत्थर .....
मेरा हमसफ़र ....मेरा वजूद
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कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

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