कागज़ भी मेरा ....
कलम भी मेरी ....
अहसास ....कुछ मेरे , कुछ उधार के
कुछ छूते से .....कुछ होते से
कुछ दिखते से .....कुछ छुपते से
कुछ रस भरे से .....कुछ अध् भरे से
कुछ गीले से .....कुछ सुरीले से
कुछ तजुर्बे से .....कुछ अजूबे से
कुछ मुफ्त से .....कुछ लुत्फ़ से
कुछ बेकार से .....कुछ शानदार से
कुछ मेरे से .....कुछ तेरे से
कुछ वजनी से .....कुछ तर्जनी से
कुछ गुबार से .....कुछ पुकार से
कुछ जवाब से .....कुछ रुबाब से
कुछ जिगर से .....कुछ फिकर से
कुछ ठोस से ..... कुछ अफ़सोस से
कुछ कसमसाते से .....कुछ बस चले आते से
कुछ अर्श से ..... कुछ फर्श से
कुछ अजनबी से ..... कुछ अभी अभी से
कुछ भरे दिल से ..... कुछ बड़े दिल से
हैरान हूँ ......
लिखते लिखते शौक हुआ
फिर जोंक हो गया
पहले जूनून हुआ
फिर सुकून हो गया
क्या पाती हूँ लिखकर
बता नहीं सकती
आते हुए अहसासों को
यूँ ही लौटा नहीं सकती
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