अगर अपने अस्तित्व की
तीन गांठें ......
प्रेम ,
अश्रु व
क्रोध
उचित समय पर "बांधे"
और उचित समय पर "खोले"
तो क्या कुछ जीत नहीं सकती .......नारी
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कनेर
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...

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