मेरी ये तलाश मुख़्तसर कर दे
मिल मुझे ,आखरी सफ़र कर दे
फासले दीखते हैं क्यूँ दरम्यान
नाप इसे ,कुछ तो कदर कर दे
कुछ पत्थर सा है सीने में दबा हुआ
छु इसे ,अपना कुछ असर कर दे
फ़ना हूँ , वादा उम्र भर का है
रख इसे ,मुझे अब बेफिक्र कर दे
इक चुप्पी सी उग आयी है यहाँ
बोल इसे ,लफ्ज़ इधर उधर कर दे
इक भी सपना न बुनें अब ये आँखें ,
कह इसे , बाद तेरे अल्लाह शुक्र कर दे
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