शुक्रगुज़ार हूँ तेरी पनाहों की
तेरे संग गुज़रती राहों की
मेरे लिए अनमोल फरिश्ता है तू
मेरी हर ख्वाइश में रंग भरता है तू
तू पतंग तेरी डोर हूँ मैं
बेफिक्र रह सिर्फ तेरी और हूँ मैं
सज़दा उन पलों का हम तुम्हारे हुए
फक्र उन लकीरों का आप हमारे हुए
शिकन और सुखं स्वाद चखे हैं तुझ संग
इत्मीनान है सुर्ख है हमारे इश्क का रंग
तू सीप मुझे मोती सा ढांके रखना
अनमोल सा यूँ ही आंके रखना
शनिवार, 30 जनवरी 2016
शुक्रगुज़ार हूँ.......
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