जो ......मेरे लफ़्ज़ों की उदासी
सोख सकते हो
मेरे ......जाया हो रहे
एहसासों को
रोक सकते हो
बस ....इक बार
सिर्फ ....इक बार
मुस्कुरा दो ना......
कुछ लफ्ज़ बंधे हैं आज ....
मुदत्तों बाद
उन्हें उडा दो ना.....
बस ....जरा सी
हवा दो ना .....
"कनेर" तुम मुझे इसलिए भी पसंद हो कि तुम गुलाब नहीं हो.... तुम्हारे पास वो अटकी हुई गुलमोहर की टूटी पंखुड़ी मैं हूँ... तुम्हें दूर ...
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